आत्महत्या के बिचार म दूसर मनखे के असर काबर सोचना चाही?
जिनगी ल खतम करे के बारे म तुंहर बिचार के खबर ले तुंहर परिवार अउ संगी-साथी उपर का परभाव पड़ही? एखर ले तुंहर काम, बेवसाय अउ गिराहिक मन उपर का परभाव पड़ही? जब मैं हा अपन जिनगी ल खतम करे जइसन फइसला लुहूं त मोला उंखर बारे म काबर सोंचना चाही? ए सबो अइसन सवाल हे, जेन तुंहर मन म उठत होही।
एखर सेती कोनो गलती झन करव। आत्महत्या ले तुंहर करीबी मनखे मन उपर गहिरा परभाव पड़ही अउ जिनगी भर ओमन एला भूलाए ल नइ सकहीं।
तुंहर आत्महत्या ले तुंहर परिवार के सदस मन बर कईठन समसिया पइदा हो जही। दुख अउ सदमा के अलावा, ओमन जिनगीभर अपराध अउ सरम के भाउना ले जियत रहीं। ओमन ल सामाजिक कलंक अउ सामाजिक तिरिस्कार के घलोक सामना करना पड़ सकत हे।
जब तुमन आत्महत्या के बारे म सोंचथव, त तुमन कोनो समसिया ले बचे के कोसिस करथव। तुंहर मउत ले ये समसिया खतम नइ हो जाए, बल्कि दूसर मनखे उपर बोझा बन जही। जेखर ले तुंहर आत्महत्या हर तुंहर परिवार के सदस या कोनो करीबी मनखे बर सबरदिन के पीरा बन जही।
एखरे सेती कोनो भी फइसला ले के पहिली, ए बारे म बने असन सोंच-बिचार करव।