आत्महत्या महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या क्यों है
आमतौर पर पुरुषों में महिलाओं कि अपेक्षा आत्महत्या कि संख्या तीन गुणा ज्यादा है l इसका मतलब है कि हर एक महिला कि आत्महत्या पर 3-4 पुरुषों की आत्महत्याए हैं l लेकिन अगर आत्महत्या करने कि कोशिश ओ देखा जाए तो बात उलटी हो जाती है मतलब यह कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में खुद को मारने की कोशिश तीन गुना ज़्यादा कराती हैं l
विकासशील देशों में, इन आंकड़ों में काफी फर्क देखा जाता है l खुदखुशी करने वाली महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और पुरुषों एवं महिलाओं की सफल खुद्खुशियों की संख्याओं के बीच का फर्क भी छोटा होता जा रहा है l इन देशों में युवा शादीशुदा महिलाओं पर अपनी जान लेने का संकट काफी ज्यादा मंडराता है l उदाहरण के लिए पूरे विश्व में सबसे अधिक आत्महत्याओं के मामले दक्षिण भारत की युवा महिलाओं के होते हैं l वर्ष 2015 में, आत्महत्या पूरे विश्व में किशोरियों की मौत का सबसे बड़ा कारण साबित हुआ l ऐसा पाया गया है कि 15 से 19 साल कि उम्र की महिलाओं की जितनी भी मौतें होती हैं उनमें सबसे ज्यादा मौतें आत्मघात की वजह से होती हैं न कि सड़क दुर्घटना से, बीमारी से, या प्रसूति में आई दिक्कतों से l