कोढ़ के बीमारी के बारे म का-का गलत धारना हे? के ये सही हे?
हमर समाज म कोढ़ के बीमारी ल लेके अब्बड़ डर अउ गलतफहमी फइले रहिथे। कइ पइत त ए बीमारी ले ग्रसित मनखे ल जातसमाज ले बाहिर कर दिए जाथे, या फेर उंखर संग खराब व्यवहार कर जाथे। एखर कारन लोगन ए बीमारी ले अउ जादा डर जाथें।
धियान रखव, के भगवान के सराप के कारन कोढ़ के बीमारी नइ होवए। कोनो परकार के टोना-टोटका या फेर अतीत के कोनो पाप भी एखर कारन नइ होवए। कोढ़ के रोगी, खराब मनखे नइ होवए।
कोनो परकार का खाए के चीज या कोनो नदिया-तरिया म नहाए ले भी कोढ़ नइ होवए।
कोढ़ के बीमारी वंसानुगत तको नइ होवए अउ एखर पीड़ित महतारी के लइका ल ए बीमारी नइ होवए। असल म कोढ़ के बीमारी के पाछु माइकोबेक्टिरिया लेप्री नाव के रोगानु होथे। एखर ले कोनो भी मनखे परभावित हो सकत हे।
आपमन ल कोढ़ के बीमारी, ओहि मनखे ले हो सकत हे, जेन ल ए बीमारी होगे हे अउ जेन हर अपन इलाज नइ करवात हे। लेकिन अइसन तभे होहि, जब आपमन बार-बार अउ लंबा बेरा ले ओखर संपर्क म आहु।
मरीज ल एके-दू पइत छुए भर म ए बीमारी नइ फइलए।
आज के जमाना म मउजूद कइ परकार के दवइ-गोली के जरिया कोढ़ के रोग ल ठीक करे जा सकत हे। घर म तको ए बीमारी के इलाज हो सकत हे। अउ इलाज सुरु होए के थोड़क दिन बाद, ए बीमारी हर दूसर मन के बीच नइ फइलए। एखर सेती, जेन मरीज के इलाज चलत हे, ओ हर अपन परिवार अउ समाज म रह सकत हे। ओ हर सबो संग मिल-जुल के खाना खा सकत हे या फेर एक-दूसर संग गला मिल सकत हे।
अइसन म, एखर मरीज ल परिवार या समाज ले बाहिर करे के कोनो जरुवत नइ हे। ओ हर धार्मिक तिहार या फेर दूसर समाजिक कामकाज म भाग ले सकत हे। कोढ़ के कारन कोनो मनखे संग तलाक लेना भी गलत होथे।
जेन मरीज के तुरते इलाज-पानी चलत हे, ओ हर अपन इस्कूल जाना या फेर दूसर कामकाज ल जारी रख सकत हे। ओ हर सांतिपूरवक जिनगी जी सकत हे अउ अपन जातसमाज म अपन परिवार तीर मनचाहे जिनगी बिता सकत हे।
अगर आपमन तुरते ए बीमारी के इलाज ल सुरु कर देहु त आपमन पूरा तरीका ले ठीक हो सकत हव अउ आगु चलके आपमन के सरीर ल कोनो नुकसान घलोक नइ होही।
लेकिन, कइठन जातसमाज अइसन हे जिहां अभी भी ए बीमारी के बारे म गलत मान्यता फइले हे। एखरे कारन कोढ़ ले परभावित मनखे ह एखर सुरुआती लकछन ल स्वीकार नइ करे, अउ इलाजपानी के पता लगाए म घलोक डेराथे। अगर परभावित मनखे ल सही बेरा म इलाज नइ मिलए त, आगु चलके ओला भारी नुकसान हो सकत हे। संगे-संग एखर ले परभावित मनखे ह दूसर मन के बीच म ए बीमारी ल फइलाथे। ए सबो कारन ले समाज म कोढ़ के बीमारी ले जुड़े गलत मान्यता अउ डर बने रहिथे।
कोढ़ के बीमारी ले परभावित मनखे ले कइ परकार के समसिया के सामना करे बर पड़थे। असल म समाज म अभी भी ए बीमारी ल लेके डर फइले हे, एखर सेती परभावित मनखे संग भेदभाव किए जाथे अउ ओला समाजिक तिरिस्कार के सामना घलोक करे बर पड़थे। जेखर ले मरीज ह अउसाद, भारी संसो या फेर आत्मघाती विचार ले ग्रसित हो जाथे। अगर आपमन के संग भी अइसन सबो होथे, त घबराहु झन, ए हर एक परकार के मानसिक समसिया हे, आपमन पागल नइ होए हव। आपमन ल सहायता मिल सकत हे। किरपा करके कोनो स्वास्थ्य कारकरता संग मिलव अउ ओखर संग मनोवैज्ञानिक सहायता मांगव।