दिव्यांगता के बारे म जानना काबर जरूरी हे अउ दिव्यांग मनखे के मदद काबर जरुरी हे?
जातसमाज अउ इहां तक के दूसर संस्थान, संरचना अउ सेवा म कई परकार के गलत मान्यता, दृष्टिकोन अउ मूल्य के कारन दिव्यांग मनखे ल अकसर अपन जिनगी म अलग-अलग परकार के बाधा के सामना करे बर पड़थे। ओला गलत तरीका ले तियाग दिए जथे, समाज ले बाहिर कर दिए जथे या फेर उंखर संग खराब बेवहार करे जथे। अइसन बाधा ओखर दुरबलता ल अउ जादा बढ़ा देथे। एखरे सेती ओला दूसर सामान्य मनखे मन असन, सिछा, नउकरी, स्वास्थ्य या समाजिक जिनगी म भाग ले के अउसर नइ मिल पाए।
पहिली बताए गे बाधा के अलावा, लिंग अउ गरीबी तको अइसन कारक हें जेन समाज म दिव्यांग मनखे के आगु बाधा पइदा करथे। उदाहरन बर, माईलोगन अउ नोनी मन ल, पुरुस अउ बाबूमन के तुलना म जादा चुनौती झेलना पड़थे, काबर के सिछा अउ स्वास्थ्य तक उंखर समान पहुंच नइ होवए। कभु-कभु जवान नोनी मन म यौवन अवस्था के दउरान पहिली लकछन विकसित होए म बने असन अपन जतन नइ कर पाएं।
ये सबो अब्बड़ खतरनाक होथे अउ एखर परिनाम घातक होही। सिछा, स्वास्थ्य या समाजिक जिनगी तक पहुंच नइ होवइया बाधा, दिव्यांगता बर डर पइदा करथे। एखर कारन, परभावित मनखे जब पहिली लकछन दिखथे त ओला ओहा लुकाए के कोसिस करथे। एखर ले परभावित मनखे ल तुरते इलाज-पानी नइ मिल पाए।
अउ अगर परभावित मनखे ल सिछा अउ नउकरी नइ मिलही त एखर ले गरीबी अउ जादा बढ़ सकत हे। फेर ओखर आगु अउ जादा समसिया पइदा होथे। एखर ले परभावित मनखे बर बने असन इलाज-पानी पाना अउ मुसकिल हो जथे।
एखर अलावा, अगर जातसमाज के मन दिव्यांग मनखे के तिरिस्कार करथें या फेर ओखर संग बुरा बेवहार करथें, त ओ मनखे ल लगे ल लगथे के ओहा कुछु करे के लाइक नइ हे। एखर ले ओखर भीतर अउसाद, भारी संसो या आत्महत्या के बिचार आना, जइसन मानसिक समसिया पइदा होए बर लगथे। अइसन म परभावित मनखे ह खुद ल नकसान पहुंचा सकत हे।
एखर ले परभावित मनखे बर अपन आप के जतन करे ल अउ जादा कठिन हो जथे।
ये सबो बात ले पता चलथे के मनखे ल खाली अपन दिव्यांगता भर के परसानी नइ होवए, बल्कि जातसमाज दुआरा ओ मनखे बर पइदा करे गे दूसर बाधा के कारन घलो ओला जादा तकलीफ उठाए बर पड़थे। अइसन म आगु चलके ओखर दुरबलता अउ बढ़ जथे, अउ मानसिक समसिया घलो पइदा हो सकत हे अउ ओखर गरीबी तको बढ़ सकत हे।
एखर सेती हम सब्बो झन ल चाही के दुरबलता अउ दिव्यांगता के बारे म हमन अपन समझ विकसित करन। एखर ले अइसन सबो समसिया ले बचे जा सकत हे। हम सबो झन ल समझना चाही के, दुरबलता हम सबो झन के जिनगी के हिस्सा होथे, हर दुरबलता अलग-अलग होथे अउ कईठन रुप म विकसित होथे। दुनिया के सबो आदमी म कोनो न कोनो परकार के ताकत अउ ताकत होथे, ए बात दिव्यांग लोगन उपर घलो लागू होथे।
दिव्यांग मनखे घलो दूसर इंसान असन योग्य होथे। अगर तुमन अउ हर कोनो दिव्यांगता ल स्वीकार करही, गलत मान्यता ल खतम करही अउ दिव्यांग मनखे के सहायता करही, त परभावित मनखे ल अपन सुरुआती लकछन ल लुकाए-छिपाए के जरुवत नइ पड़ही। अइसन म ओहा तुरते इलाज-पानी पा सकही, अपन सरीर के जतन कर सकही। अउ आगु आने वाला सारीरिक या मानसिक परसानी ल रोक सकही।
अगर परभावित मनखे ल बने-बने इलाज अउ जतन पाए के अउसर मिलही त ओखर दुरबलता म सुधार हो सकत हे। ओहा अपन दुरबलता के संग जीये के तरीका ढूंढ सकत हे। ओला ए बात बर पुरूतसाहित करे ल चाही कि ओह अपन दिव्यांगता के उपयोग अपन ताकत के रुप म कइसे करे।
साथे-साथे, अगर तुमन अउ हर इंसान दुरबलता अउ दिव्यांगता के बारे म बने असन जानहीं-समझहीं, गलत मान्यता के दूर करहीं अउ दुरबलता ल स्वीकार करहीं त एखर ले समाज, ओखर संस्था, संरचना, मूल्य, दृष्टिकोन अउ मान्यता म बदलाव आही। हमन अगर समाजिक बाधा ल दूरिहा कर सकबो, त हमन दिव्यांगता ल घलोक दूस कर सकबो। अउ दिव्यांग मनखे ल घलो समान अधिकार, सिछा, स्वास्थ्य, आर्थिक अउ समाजिक न्याय मिल सकही।