दिव्यांग माईलोगन म अकसर आत्म-सम्मान के कमी काबर होथे?
दिव्यांग माईलोगन के संग अकसर भेदभाव करे जथे। उंखर संग बिहाव करे बर उपयुक्त लड़का नइ मिलए, या फेर जिहां ओहा काम करथे, उहां ओखर संग भेदभाव करे जथे। अइसन मन ल पढ़े-लिखे के पूरा अउसर तको नइ मिलए। इहां तक के जेने इस्कूल ह बिसेस रुप ले दिव्यांग मन बर बने हे, उहां भी लड़कामन ल जादा महत्व मिलथे।
दिव्यांग माईलोगन ल कोनो किसम के कामकाज करे बर बिसेस परसिकछन तको नइ मिलय। अइसन मन सारीरिक, भाउनात्मक अउ यौन रुप ले खराप बेवहार के अनुभव करथें। दूसर सामान्य मनखे के तुलना म, ओमन ल घर या फेर जातसमाज म कोनो फइसला ले मंजूरी तको नइ मिल पाए।
दिव्यांग माईलोगन ल, अकसर समाज दुआरा ए सिखाए जथे, के खुद ल जादा महत्व झन दव। ओमन ल बिहाव करे बर अउ लइका पइदा करे बर असमर्थ माने जथे। ओमन ल बेकार माने जथे। इहां तक ले संपन्न परिवार म घलो ओमन ल तभे महत्व मिलथे, जब उंखर ले कोनो किसम के फायदा होथे।