दुरबलता या फेर दिव्यांगता के बारे म का-का गलत धारना होथे? अउ का ए सही बात हे?
कईठन जातसमाज म, दुरबलता अउ दिव्यांगता के बारे म गलत-सलत धारना फइले रहिथे। एंखर बारे म अब्बड़ डर अउ गलतफहमी फइले रहिथे। एखर कारन, दिव्यांग मनखे मन संग अकसर गलत बेवहार करे जाथे अउ ओला समाज ले बाहिर रखे जाथे।
कोनो परकार के दिव्यांगता के पीछे परभावित मनखे या फेर दूसर मनखे के गलती नइ होवए। कई झन मानथें कि कोनो मनखे हा एखर सेती दिव्यांग होए हे के ओहा कोनो पाप करे हे या फेर ओहा खराब मनखे हे, अइसन बात सच नइ रहे। दिव्यांग के पाछु, भगवान के सराप, टोना-टोटका के घलोक हाथ नइ होवए।
दिव्यांग मनखे ल कई परकार के समसिया ले निपटे ल पड़थे। जातसमाज म फइले गलत धारना के कारन, ओला भेदभाव, सामाजिक तिरिस्कार के सामना कर बर पड़थे। एखर ले अउसाद, भारी संसो या आत्मघाती बिचार जइसे मानसिक समसिया घलोक पइदा हो सकत हे। अगर तुमन अइसन कुछु समसिया ले परभावित हव त, घबराहु झन, मानसिक समसिया के माने पागल होना नइ होवए। मानसिक समसिया घलोक एक परकार के दुरबलता होथे। अगर तुमन अइसन कोनो स्थिति ले गुजरत होवव त, कोनो स्वास्थ्य कार्यकर्ता या डाक्टर करा जाना चाही।
अकसर दिव्यांग मनखे मन ल कम योग्य समझे जथे। वइसे कोनो परकार के दुरबलता होना सामान्य बात होथे, अउ लगभग हर कोनो ल जिनगी म कभु न कभु कोनो न कोनो परकार के दुरबलता हो सकत हे, जेखर ले ओखर सारीरिक या फेर मानसिक काम-बुता म फरक पड़थे। तुमन ल थोड़कुन बेरा बर दुरबलता हो सकत हे, जइसे दुरघटना के कारन। कईझन मनखे म एक ले जादा दुरबलता होथे। दुरबलता के कई कारन होथे, जइसे चोंट, दुरघटना, बीमारी या जनम के पहिली या जनम के दउरान।
सरीर के दुरबलता कईठन परकार के होथे। अउ ए हा सरीर के कईठन काम-बुता ल परभावित करथे अउ दूसर रुप घलो धर सकत हे। अगर कोनो मनखे म कुछ कमजोरी हे त कुछु ताकत घलो हो सकत हे, कुछु दूसर योग्यता घलोक हो सकत हे। ओहा सोच सकत हे, महसूस कर सकत हे, अपन आप के बारे म बता सकत हे, अइसन कोनो काम कर सकत हे, जेखर ले ओला अउ दूसर ल खुसी मिल सकए। ओखर भीतर कुछ ताकत हो सकत हे। हर मनखे परिवार अउ जातसमाज म अलग-अलग तरीका ले अपन योगदान देथे, दिव्यांग मनखे घलोक अइसन कर सकत हे। ओहा कोनो भी महान काम कर सकत हे अउ एक सारथक जिनगी जी सकत हे।
कईठन दुरबलता के बारे म तुमन आगु ले कुछु नइ कहि सकव, के आगे ओहा कईसन रुप धरही। अगर तुमन तुरते इलाज-पानी अउ सेवा-जतन करहू त कईठन दुरबलता म सुधार हो सकत हे। परभावित मनखे अपन दुरबलता के संग जिये के दूसर तरीका ढूंढ सकत हे अउ अपन कमी ल ताकत के रुप म बदल सकत हे। ओला पुरूतसाहित करे ल चाही।
दिव्यांग मनखे अपन जिनगी म जेन अनुभव करथे, ओमा ओखर गलती नइ रहे, बल्कि ओ बाधा के रहिथे जेन जातसमाज ओखर आगु पइदा करथे। दिव्यांग मनखे के महिला या पुरुस होना या फेर गरीबी जइसन दूसर कारक घलो दिव्यांग मनखे के आगु बाधा पइदा करथें।
भले दु मनखे म एके जइसन दुरबलता होवए, फेर उंखर दिव्यांगता अलग-बिलग हो सकत हे, ये समाजिक जिनगी म अवइया बाधा के उपर निरभर करथे।
उदाहरन बर, अगर भैरा मनखे कोनो अइसन सहर म रहिथे जिहां प्राथमिक अउ माध्यमिक इस्कूल हे त ओहा अपन संग-साथी संग सांकेतिक भाखा सीख सकत हे। इस्कूल म भरती मिले ले ओला तको समान अउसर मिलही, अल फेर ओला अपन दिव्यांगता के अनुभव नइ करे बर पड़ही। एखर, उलट अगर वो इस्कूल परभावित मनखे ल भरती करे बर मना कर देथे, या फेर ओहा इस्कूल म भरती ले बर आर्थिक रुप ले सक्षम नइ हे त समझो के समाज परभावित मनखे के आगु बाधा पइदा करत हे।
अइसन बाधा मन परभावित ल समाजिक जिनगी म समान रुप ले भाग ले म रोकथें अउ ओला समान अउसर नइ मिल पाए। अइसन म ओहा अपन दिव्यांगता के अनुभव जादा करे बर लगथे। माईलोगन अउ नोनी मन ल, पुरुस अउ बाबूमन के तुलना म जादा चुनौती झेलना पड़थे, काबर के सिछा अउ स्वास्थ्य तक उंखर समान पहुंच नइ होवए। कभु-कभु जवान नोनी म यौवन अवस्था के दउरान बने असन अपन जतन नइ कर पाएं। एखर ले ओमन, बाबूमन असन समान अउसर हासिल नइ कर पाएं।
ए सबो बात ल बने असन समझना अब्बड़ जरुरी हे। ताकि हर कोनो ये जान सकें के कोनो भी दिव्यांग मनखे के संग अलग-बिलग बेवहार करे के कोनो कारन नइ होवए। ये सही बात नइ होवए। दिव्यांग मनखे तको दूसर मनखे असन योग्य इंसान हो सकत हे। हमन ल दुरबलता ल स्वीकार करे ल चाही। एहु बात ल स्वीकार करे ल चाही के हर मनखे अलग-अलग होथे।
समाज के संस्था, संरचना, सेवा, मूल्य, दृष्टिकोन अउ मान्यता ल बदले के जरुवत हे। अइसन करके हमन समाज म दिव्यांग मन के आगु अवइया बाधा ल दूर कर सकबो। अइसन करे ले दिव्यांगता वाले या बिन दिव्यांगता वाले मनखे ल सिछा, समाजिक जिनगी, स्वास्थ्य, आर्थिक अउ समाजिक न्याय तक समान अधिकार अउ पहुंच मिल सकही।